Wednesday 1 March 2017

जनमत संग्रह

जनमत संग्रह
जनमत संग्रह जिसे मत संग्रह या सिर्फ जनमत भी कहते है, एक ऐसा प्रत्यक्ष मतदान है जिसमें किसी क्षेत्र विशेष के सभी मतदाताओं को मतदान के द्वारा किसी एक विशेष प्रस्ताव को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने के लिए कहा जाता है | दुसरे शब्दों में जनमत संग्रह के माध्यम से सरकार की नीतियों या किसी प्रस्तावित कानून के बारे में जनता की राय मालूम की जाती है | जनमत संग्रह नये संविधान के निर्माण , वर्त्तमान संविधान में संशोधन , किसी नए कानून, किसी निर्वाचित सदस्य का निर्वाचन रद्द करने या सरकार की किसी विशिष्ट नीति को स्वीकार या अस्वीकार करने से सम्बंधित हो सकता है | यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक रूप है |
जनमत संग्रह लैटिन क्रिया Fero की संज्ञा है, और अर्थ "वापस लाने" है ।माना जाता है कि जनमत संग्रह का नाम एवं उसका उपयोग  सबसे पहले 16वीं शताब्दी  के करीब ग्रौबुन्दें के स्विस केंटन में हुई |
जनमत संग्रह एक प्रत्यक्ष लोकतंत्र का तंत्र है  जिसमें  संसद या सरकार की भागीदारी के बिना, नागरिकों को  सीधे एक वोट के माध्यम से राजनीतिक निर्णय लेने के लिए अनुमति प्रदान करती है ।
एक राजनीतिक-दार्शनिक दृष्टिकोण से, जनमत संग्रह प्रत्यक्ष लोकतंत्र की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। लेकिन, आधुनिक दुनिया मेंजनमत संग्रह को  प्रतिनिधि लोकतंत्र के संदर्भ में समझे जाने  की जरूरत है।
परंतु सम्भ्रांतवादी दृष्टिकोण के अनुसार जनमत संग्रह का देश की राजनीति में कोई अर्थ नहीं है क्योंकि सम्भ्रांत वर्ग समझते है कि अनपढ़, अर्धशिक्षित, गरीब और ग्रामीण जनता को समाज और देश के गंभीर मसलों की कोई समझ नहीं हैं | उनके निर्णय धन के लोभ और बाहुबल के आतंक से आसानी से प्रभावित हो जाते है | अतः  जनमत संग्रह का देश की राजनीति में कोई अर्थ नहीं है |
18 वीं सदी के अंत के बाद से, राष्ट्रीय जनमत संग्रह को  सैकड़ों देशों में आयोजित किया गया है | पूरे विश्व में स्विट्ज़रलैंड का स्तन प्रथम है, इसके बाद दर्जनों जनमत संग्रहों के साथ ऑस्ट्रेलिया का स्थान  दूसरा  हैं |
एक जनमत संग्रह आमतौर पर मतदाताओं को स्वीकार करने या एक प्रस्ताव को खारिज करने का एक विकल्प प्रदान करता है, लेकिन यह जरूरी मामला नहीं है। स्विट्जरलैंड में, उदाहरण के लिए, कई विकल्प  जनमत संग्रहों में आम हैं। स्वीडन में आयोजित की, 1957 में और 1980 में  दो बहुविकल्पीय जनमत संग्रहों में  मतदाताओं को तीन विकल्पों की पेशकश की; 1977 में, ऑस्ट्रेलिया में एक जनमत संग्रह का आयोजन एक नया राष्ट्रीय गान निर्धारित  करने के लिए किया गया, जिसमें मतदाताओं को  चार विकल्प थे; और 1992 में, न्यूजीलैंड ने अपनी  चुनावी प्रणाली पर एक पांच विकल्प वाले  जनमत संग्रह का आयोजन किया|
मौजूदा सभ्यता में मीडिया  एक तरह से देखें तो जनमत का प्रहरी है , दूसरे ढंग से देखें तो वह जनमत का निर्माता है । यह मत-निर्माण सिर्फ तात्कालिक मुद्दों के बारे में नहीं होता है , बल्कि गहरी मान्यताओं और दीर्घकालीन समस्याओं के स्तर पर भी होता है । यह मत-निर्माण या प्रचार इतना मौलिक और प्रभावशाली है कि इसे मानस-निर्माण ही कहा जा सकता है ।



जनमत संग्रह के क्षेत्र
जनमत सन्ग्रह अर्थात मत संग्रह या सिर्फ जनमत भी कहते है, एक ऐसा प्रत्यक्ष मतदान है जिसमें किसी क्षेत्र विशेष के सभी मतदाताओं को मतदान के द्वारा किसी एक विशेष प्रस्ताव को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने के लिए कहा जाता है |
जनमत संग्रह की इस परिभाषा पर अगर ध्यान दिया जाएँ तो हम  समझ सकते है की हर वो मुद्दा या विषय जिससे जनमानस के जीवन पर असर पड़ता है एवं उन मुद्दों पर उनकी राये लेना जरूरी है , ऐसे सारे मुद्दे अथवा विषयों का क्षेत्र ही जनमत संग्रह का क्षेत्र है |
मुख्य तौर पर निम्न क्षेत्रों को जनमत संग्रह के क्षेत्रों के अन्दर रखा जा सकता है-
Ø राजनैतिक
Ø आर्थिक
Ø सामाजिक
Ø न्यायिक
Ø पारंपरिक

१.    राजनैतिक – राजनीति एवं राजनैतिक मामलों का जनता पर सबसे जादा प्रभाव पड़ता है | बात हो सरकार चुनने की, सरकारी नीतियों की , संविधान में संसोधन की, राज्य विभाजन की ये सरे मुद्दें राजनैतिक है | इन मुद्दों पर हमेशा से जनमत संग्रह हुए है  एवं जनमत संग्रह कराने की बातें होती रही है  | उदहारण – क्या दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए? इस मुद्दे पर सत्ताधारी केजरीवाल सरकार जनमत संग्रह की वकालत करती है | वही दूसरा उदहारण भी भारत का ही है | जम्मू कश्मीर की आजादी के मुद्दे पर लोग एवं बहुत सी पार्टियाँ जनमत संग्रह चाहती है |
२.    आर्थिक – “अर्थ” का प्रभाव सीधा लोगों पर पड़ता है. इसलिए आर्थिक मामलों पर लोगो की राय जानना कभी-कभी आवश्यक हो जाता है | आर्थिक मामलों के अन्दर भूमि अधिग्रहण , खेती ,कृषि, आदि बहुत सारी चीज़े आती है |
३.    सामाजिक – समाज का निर्माण, समाज में रहने वाले लोगों से होता है | सामाजिक गतिविधयों में उनकी भागीदारी सबसे अदिकवं प्रभावसाली होती है | अतः सामाजिक मुद्दे, जिसके अन्दर महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण क्षेत्रो में घरों में शौच की आव्यशाकता , धार्मिक स्थलों का निर्माण आदि आते है |
४.    न्यायिक – न्याय का हक़ सबको है एवं न्याय व्यवस्था में हो रहे संशोधन अथवा नए कानून के निर्माण में बहुत बार लोगो कि रे जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है | इस क्षेत्र को भी कभी कभी जनमत संग्रह कि आवश्यकता होती है |
५.    पारंपरिक – कुछ पारंपरिक मुद्दे जैसे समाज में चल रही कुप्रथाएं आदि को ख़त्म करने में लोगो कि राये जानने से लोगो में उस विषय के प्रति जागरूकता  भी उत्पन्न होती है एवं उन कुरीतियों पर प्रहार करना आसन हो जाता है |
६.    अन्य – लोगो कि रे हर मुद्दे पर महत्वपूर्ण हो होती है, अतः ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र है जो जनमत संग्रह से अच्छुता रह सके |






विश्व के प्रमुख जनमत संग्रह
# 28 सितम्बर 2014 को स्कॉटलैंड में जनमत संग्रह कराया गया कि स्कॉटलैंड एक स्वतंत्र देश बने या नहीं | स्कॉटिश सरकारऔर यूनाइटेड किंगडम सरकार के बीच एक समझौते के बाद स्कॉटलैंड में जनमत संग्रह करने का निर्णय लिया गया | जनमत संग्रह का सवाल, चुनाव आयोग कि सिफारिश के बानुसार “ क्या स्कॉटलैंड एक स्वतंत्र देश होना चाहिए” | इस जनमत का परिणाम कुल 36,23,344 वोट्स रहे, जिसमें हां के लिए 16,17,989 मत और नहीं को 20,01,926 मत मिले | नहीं पक्ष ने जनमत  में 55.3% मत ग्रहण किये और विजेता रही |

# न्यू ज़ीलैण्ड में 1993 में राष्ट्रीय ध्वज को बदलने को लेकर जनमत संग्रह हुआ जिसमे लोगो ने ना के पक्ष मं अधिक मत दिए |

# 1948 में कश्मीर के मुद्दे पर जनमत संग्रह करने के लिए यू.एन. ने प्रस्ताव रखा था परन्तु इस मुद्दे पर जनमत संग्रह हो नै पाया |

#शरद ऋतु 2004 - इंग्लैंड में क्षेत्रीय विधानसभाओं पर जनमत संग्रह।

जनमत संग्रह: फायदें व नुकसान
जनमत संग्रह में मतदाताओं द्वारा अधिक सावधान विवेचना  की तुलना में क्षणिक सनक के द्वारा संचालित होने की संभावना है, या कि वे पर्याप्त जटिल या तकनीकी मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए सूचित नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा मतदाता  प्रचार, मजबूत व्यक्तित्व , और महंगा विज्ञापन अभियानों में बह जा सकता है। जेम्स मेडिसन ने तर्क दिया कि प्रत्यक्ष लोकतंत्र "बहुमत के अत्याचार 'है।
जनमत संग्रह के लिए कुछ विपक्षी यह तर्क देते है कि एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी जैसे तानाशाह  लोकलुभावनवाद के रूप में दमनकारी नीतियों को छिपाने के लिए जनमत संग्रह किया करते थे। जनमत संग्रह के हिटलर के उपयोग कारण ही द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, जर्मनी में संघीय स्तर पर जनमत संग्रहों के आयोजन का कोई प्रावधान नहीं है |
वहीं जनमत संग्रह एक प्रत्यक्ष लोकतंत्र का तंत्र है  जिसमें  संसद या सरकार की भागीदारी के बिना, नागरिकों को  सीधे एक वोट के माध्यम से राजनीतिक निर्णय लेने के लिए अनुमति प्रदान करती है ।जनमत संग्रह प्रत्यक्ष लोकतंत्र की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। जनमत संग्रह के अधिवक्ता का तर्क है कि कुछ निर्णय सबसे अच्छा प्रतिनिधियों के हाथों से बाहर ले जाया जाए और लोगों द्वारा सीधे निर्धारित किया जाए।

निष्कर्ष
जनमत संग्रह जिसे मत संग्रह या सिर्फ जनमत भी कहते है, एक ऐसा प्रत्यक्ष मतदान है जिसमें किसी क्षेत्र विशेष के सभी मतदाताओं को मतदान के द्वारा किसी एक विशेष प्रस्ताव को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने के लिए कहा जाता है | जनमत संग्रह एक प्रत्यक्ष लोकतंत्र का तंत्र है|
एक राजनीतिक-दार्शनिक दृष्टिकोण से, जनमत संग्रह प्रत्यक्ष लोकतंत्र की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। लेकिन, आधुनिक दुनिया मेंजनमत संग्रह को  प्रतिनिधि लोकतंत्र के संदर्भ में समझे जाने  की जरूरत है।
परंतु सम्भ्रांतवादी दृष्टिकोण के अनुसार जनमत संग्रह का देश की राजनीति में कोई अर्थ नहीं है|
एक जनमत संग्रह आमतौर पर मतदाताओं को स्वीकार करने या एक प्रस्ताव को खारिज करने का एक विकल्प प्रदान करता है, लेकिन यह जरूरी मामला नहीं है। 1992 में, न्यूजीलैंड ने अपनी  चुनावी प्रणाली पर एक पांच विकल्प वाले  जनमत संग्रह का आयोजन किया |
मौजूदा सभ्यता में मीडिया  एक तरह से देखें तो जनमत का प्रहरी है , दूसरे ढंग से देखें तो वह जनमत का निर्माता है |

लोगो कि रे हर मुद्दे पर महत्वपूर्ण हो होती है, अतः ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र है जो जनमत संग्रह से अच्छुता रह सके |

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