मीडिया शोध
शोध : परिचय
जिज्ञासा अनुसंधान के लिए बुनियादी प्रेरणा है।
यह कहा जाता है कि जब से एडम ने जिज्ञासा से बाहर ज्ञान का वर्जित फल चख लिया, वह पहले शोधकर्ता बन गया। तब से, ज्ञान के लिए मानव ने खोज जारी रखा है।समय की शुरुआत से ही जिज्ञासु
मनुष्य प्रकृति, जीवन और ब्रह्मांड के
रहस्यों को अनावरण करने के लिए कोशिश कर रहा है। मनुष्य सितारों, आसमान और समुद्र को विस्मय और आश्चर्य की भावना के साथ देखता रहा
है ।
'पत्थर और भाला' के युग से बिजली और सापेक्षता के युग तक; और अब सूचना प्रौद्योगिकी
के वर्तमान दिनों में , मनुष्य ने ज्ञान की नई सीमाओं को एक भयानक गति से खोज रहा
है । वह दुनिया के भौतिक दायरों को निरंतर पर कर रहा है ।
सभी अनुसंधान क्रमिक या व्यवस्थित ज्ञान के लिए एक खोज है। यह
प्राकृतिक घटना के एक पर्यवेक्षणीय अध्ययन या अवधारणाओं जो इन घटनाओं में व्यक्त
होते हैं के बीच संबंधों का एक तर्कसंगत
अध्ययन है। ज्ञान, संगठित और व्यवस्थित रूप में इकट्ठा किया जाता है। फिर उस जांच को अनुसंधान उपकरण की मदद से मान्य किया जाता है।
अनुसंधान अक्सर अवलोकन के साथ शुरू होता है।
अवलोकन बुद्धिपूर्ण तरीके से हमारे संवेदी
तंत्र का इस्तेमाल करता है । हम यह जानते
हैं कि अवलोकन तथ्यों, संबंधों और घटनाओं
को समझने के लिए एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। अगर अवलोकन सटीक है, परिणाम और अधिक विश्वसनीय हो जाएगा। अवलोकन
के अलावा, कई अन्य अनुसंधान उपकरण और तरीकों का इस्तेमाल किया जाता
है।
अनुसंधान का मतलब कुछ हद तक जांच करने का रवैया है। यह तथ्यों के लिए एक ईमानदार, बुद्धिमान और व्यापक खोज है। यह अज्ञात के लिए खोज
है, और ज्ञात के लिए भी । अनुसंधान इस ब्रह्मांड के
रहस्यों को उजागर करने के लिए किया जाता है
अनुसंधान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यवस्थित
संग्रह, विश्लेषण और डेटा की व्याख्या के माध्यम से
समस्याओं का भरोसेमंद समाधान तक पहुंचा जा
सकता है। अनुसंधान कभी-कभी परिस्थितियों में हो रही घटनाओं का पता लगाने कि कोशिश
करता है । अनुसंधान वैज्ञानिक खोज का एक
पहलू है और अब एक प्रमुख अनुशासन बन गया है।
यह,तथ्यों का विश्लेषण
करने , वर्गीकृत करने
या फिर मात्रात्मक या गुणात्मक
तरीके से एकत्रित या व्यवस्थित करने का एक तरीका है। रस्क फ्रेम के अनुसार, "अनुसंधान देखने
का एक बिंदु , जांच का रवैया या मन
की एक है।" यह तथ्यों का विश्लेषण कर उन्हें प्रकाश में
लाने और समस्याओं का समाधान पाने के लिए एक प्रयास है।
अनुसंधान : भूमिका और महत्त्व
रुम्मेल के
अनुसार "अनुसंधान , खोज का विकास और ज्ञान को सत्यापित करने के लिए एक प्रयास
हैं " । इसका मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज है।
अनुसंधान सोच का एक व्यवस्थित और परिष्कृत तकनीक है।
यह
"समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए और अधिक विशेष उपकरणों, उपकरणों और प्रक्रियाओं के रोजगार की तुलना में साधारण साधन
के साथ संभव हो जाएगा।" इस तरह से अनुसंधान के लिए एक व्यवस्थित और
वस्तुनिष्ठ विश्लेषण निकलता है। इसका उद्देश्य नियंत्रित टिप्पणियों की रिकॉर्डिंग, सामान्यीकरण, सिद्धांतों और सिद्धांतों को विकसित करने के लिए है |
एक
शोधकर्ता के उपकरणों में से कुछ इस प्रकार हैं:
·
विकसित शास्त्रीयता
·
सटीक निरिक्षण
·
पारदर्शिता
·
तर्कसंगत सोच
·
लम्बे समय तक कार्य करने की इच्छा शक्ति
किसी भी
शोध को एक एकीकृत सिद्धांत या एक वैचारिक प्रणाली के आधार पर किया जाना
चाहिए। शिथिल टिप्पणियों की एक श्रृंखला
अक्सर एक व्यवस्थित अनुसंधान की ओर ले जाती है । फैसले की परिपक्वता क्षेत्र के एक
व्यापक अनुभव के बाद आता है।
अनुसंधान
के मुख्य प्रकार निम्न है :-
Ø बेसिक रिसर्च
Ø एप्लाइड रिसर्च
Ø एक्शन रिसर्च
मीडिया शोध
मीडिया
रिसर्च, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक पहलुओं और विभिन्न मास मीडिया के
प्रभाव का अध्ययन है। उदाहरण के लिए, लोग एक विशेष माध्यम के साथ कितना समय बिताते हैं? यह लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने का असरदार है या
नहीं? माध्यम के
प्रयोग से किसी भी प्रकार का हानिकारक प्रभाव पड़ता है? प्रभाव प्रौद्योगिकी के कारण है या फिर कार्यक्रम की सामग्री की वजह से ? मीडिया उपयोगकर्ताओं क्या देखना, सुनना, पढना और अनुभव करने कि
उम्मीद करते है ?
मीडिया
शोध सामाजिक शोध से ही ली गयी चीज है \
मीडिया
शोध के अंतर्गत –
Ø मीडिया के विभिनन पक्षों का विकास, उनकी उपलब्धियां एवं
प्रभाव पर गहनता से विचार विमर्श तथा
वैज्ञानिक विधि से अध्ययन किया जाता है |
Ø मीडिया कैसे और क्या कार्य करता है ?
Ø मीडिया में कौन कौन सी तकनिक प्रयोग की जाती है ?
Ø मीडिया की प्रकृति क्या है ? उसका विज्ञापन और पारिवारिक सम्बन्ध ?
Ø मीडिया समाज पर कितना प्रभावी है ?
Ø किस श्रेणी के लोग किस प्रकार की मीडिया का प्रयोग करते है?
Ø क्या इससे प्रयोगकर्ताओ की दृष्टिकोण में कोई परिवर्तन होता
है
मीडिया
शोध का उद्देश्य
मीडिया
शोध के अंतर्गत सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और
भौतिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
मीडिया
शोध का मुख्य उद्देश्य निम्न है –
·
भ्रमों का निवारण –
मीडिया शोध से भ्रमों का निवारण होता है , मीडिया में कई प्रकार के कार्यक्रम दिखाए जाते है जो समाज
में फैले कुरीतियों, समजिक रुढियों एवं पाखंडों पर प्रहार करते हैं |
·
नए विचारों का विकास –
किसी भी विषय पर जब भी कोई शोध किया जाता है तो शोध के अध्ययन से एक नै बात निकल
कर सामने आती है और तब शोध से माध्यम से नए विचारों का विकास होता है |
·
समस्याओं का निदान –
शोध के अध्ययन से समस्याओं का निदान होता है| शोध से पता चलता ही कि समस्या क्या है और समस्या का कारण
क्या है ?
·
प्रतिपुष्टि – किसी भी
विषय या कार्यक्रम पर किये गए शोध से हमें उस कार्यक्रम के बारे में अलग अलग लोगों
से उनकी राय पता चलती है , उनकी प्रतिक्रिया मिलती है और दर्शक उस कार्यक्रम को पसंद
करते है या नहीं |
·
सामाजिक और सांस्कृतिक
गतिशिलता का अध्ययन – खेल, त्यौहार, नृत्य ये सब संस्कृति के अंग है और संस्कृति समाज द्वारा दी
जाती है | मीडिया समाज और
संस्कृति को कैसे दिखा रहा है |
मीडिया शोध का सिद्धांत
मीडिया
रिसर्च में मीडिया का विकास , उनकी उपलब्धियों और प्रभाव के बारे में अध्ययन की एक पूरी
श्रृंखला शामिल है। यह अखबारों, पत्रिकाओं, रेडियो, टीवी, सिनेमा या संचार के अन्य आधुनिक और परंपरागत माध्यमों को
एकत्रित कर उनका विश्लेषण करती है ।
सिद्धांत – सिद्धांत यानि क्या और
कैसे होनी चाहिए | हर एक कार्य को करने का एक निश्चित तरीका होता है | सिद्धांत किसी भी विषय
या वास्तु का हो सकता है |
मीडिया
शोध के भी कुछ सिद्धांत है और वह निम्न है –
I.
निष्पक्षता का
सिद्धांत : मीडिया समाज का वास्तविक दर्पण होता है | किसी भी प्रकार के शोध में निष्पक्षता का सिद्धांत होना
अनिवार्य है | निष्पक्षता का सिद्धांत
सर्वोपरि होता है| शोधकर्ता को शोध के दौरान किसी का भी पक्ष नही लेना चाहिए | उसे सभी आकड़े निष्पक्ष
होकर अपनी रिपोर्ट में शामिल करना चाहिए और किसी भी तथ्य या आकड़े को छुपाना नही
चाहिए |
II.
लोकतान्त्रिक मूल्यों
की रक्षा का सिद्धांत – –हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश है जहाँ हर किसी को अपनी
बात रखने कि आज़ादी है अतः मीडिया का कार्य है किसी भी व्यक्ति , संघठन आदि के
लोकतान्त्रिक मूल्यों कि वो रक्षा करे एवं एक सामान्य जनमानस को सशक्त करे |
III.
गोपनीयता कि रक्षा का
सिद्धांत – मीडिया में स्रोत कि गोपनीयता बनाये रखना बहुत जरुरी है ताकि कोई भी उस
स्रोत को किसी भी प्रकार कि हानि न पहुंचा सके |
IV.
वैज्ञानिक दृष्टि का
सिद्धांत – किसी भी खबर को कल्पना के आधार पर दिखाना उचित नहीं होता, जरुरी है कि वो खबर
वैज्ञानिक धरातल पर खरी उतरे ताकि समाज में अन्ध्विशस का प्रचार न हो पाए | इसके लिए वैज्ञानिक
दृष्टि के सिद्धांत की सहायता लेनी अति आवश्यक है |
V.
पारदर्शिता का
सिद्धांत – मीडिया का दूसरा अर्थ ही पारदर्शिता है | मीडिया में दिखाए जा रहे किसी भी चीज़ से लोग अपनी एक
विचारधारा बना लेते है , यह विचारधारा मीडिया द्वारा दिखाई गयी सामग्री पर आधारित
होता है | इसलिए जरुरी है कि
मीडिया पारदर्शिता के सिद्धांत का पालन करेसोत्र और किसी के दवाव में आकर कम ना
करे |
VI.
समय सापेक्षता का
सिद्धांत – मीडिया में दिखाई जा रही किसी भी खबर का मूल्य एक निश्चित समय अवधि तक
ही रहता है जिसके बाद उस खबर का कोई मूल्य नहीं रह जाता | अतः मीडिया में समय
सापेक्षता का सिद्धांत अति आवश्यक है |
निष्कर्ष
शोध एक
बहुत ही मुश्किल कार्य है | जिज्ञासा अनुसंधान के लिए बुनियादी प्रेरणा है |
सभी अनुसंधान क्रमिक या व्यवस्थित ज्ञान
के लिए एक खोज है। अनुसंधान अक्सर अवलोकन के साथ शुरू होता है। अगर अवलोकन सटीक है, परिणाम और अधिक विश्वसनीय हो जाएगा। अनुसंधान एक
ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यवस्थित संग्रह, विश्लेषण और डेटा की व्याख्या के माध्यम से समस्याओं का
भरोसेमंद समाधान तक पहुंचा जा सकता है। रस्क
फ्रेम के अनुसार, "अनुसंधान देखने
का एक बिंदु , जांच का रवैया या मन
की एक है।
शोध करते वक़्त निम्न
बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है –
*समस्या का चयन बहुत
चुनौतीपूर्ण कार्य है|
*
समस्या स्पष्ट और मूर्त होनी चाहिए |
*समस्या
ऐसी हो जिसका समाधान निकल सके |
*नवीनता
और रुचिमय होनी चाहिए |
मीडिया
एक ऐसा क्षेत्र है जिससे सरे लोग जुड़े है, मीडिया का समाज पर बहुत गहरा प्रभाव है |
अतः जरुरी है कि अनुसंधान करते वक़्त मीडिया को अपने आँख और कान खुले रखने चाहिए |
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