मनोरंजन उद्योग के रूप में विज्ञापन उद्योग का विश्लेषण
अनुक्रमणिका –
- मीडिया और मनोरंजन उद्योग
- मनोरंजन उद्योग का बाजारीकरण
- विज्ञापन
- मनोरंजन उद्योग पर हावी होता विज्ञापन
- भारतीय विज्ञापन उद्योग
- निष्कर्ष
मीडिया और मनोरंजन उद्योग
मीडिया अर्थात माध्यम, एक ऐसा माध्यम जिसके द्वारा लोगों को
सूचित, उन्हें शिक्षित और उनका मनोरंजन किया जा सके | मनोरंजन एक ऐसी क्रिया है
जिसमे सम्मिलित होने वाले को आनंद आता है और मन को शांति मिलती है, तो ऐसे में टेलीविज़न,
सिनेमा, रेडियो, नाटक, विज्ञापन, सर्कस, खेल, मेला, संगीत, नृत्य आदि मनोरंजन के
अंतर्गत ही समाविष्ट है | जो उद्योग मनोरंजन प्रदान करता है उसे मनोरंजन उद्योग
कहते है |
अगर हम मीडिया मनोरंजन उद्योग की बात करे तो इसके अंतर्गत
मुख्य रूप से टीवी, रेडियो, समाचार पात्र-पत्रिकाएँ, फिल्म, इन्टरनेट आदि आते है |
सत्तर के दशक में दूरदर्शन की शुरुवात हुई | दूरदर्शन के
आगमन से कुछ हुआ हो या नहीं पर दृश्य-मीडिया कुल मिलाकर मनोरंजन उद्योग में तब्दील
जरुर हुआ है | कोई भी कहानी जो दर्शक के मन में संवेदना, दुःख या सरोकार पैदा करती
थी अब केवल मजा देने और अधिक से अधिक सनसनी पैदा करने का काम करती है | बदलते वक्त
के साथ गरीबी अन्याय, और शोषण की बदहाल कहानिया अब मीडिया की चौहद्दी के बहार है | उद्योग की हैसियत का मनोरंजन अब मोटी
कमाई का श्रोत बन गया है और मीडिया अपनी बुनयादी सामाजिक जिम्मेदारियों को ठेंगा
दिखा रहा है अब मुद्दों को मनोरंजन में तब्दील कर दिया जाता है |
टीवी ने अपना स्वरुप बदला तो रेडियो कैसे पीछे रहता, और बात
केवल पीछे रहने की नहीं बल्कि अपने अस्तित्व को बचाने की भी थी, तो रेडियो ने भी एफ.म
चैनेलों की शुरुआत कर मनोरंजन करना अपना मुख्या उद्देशय बना लिया | समाचार पत्र भी
इस दौर में शामिल है और अन्य माध्यमों की तरह अपने पाठकों का मनोरंजन किये जा रहे
है |
मनोरंजन उद्योग का
बाजारीकरण
आज हर जगह बाज़ार की घुसपैठ हो चुकी है चाहे वह राजनीति हो, खेल
हो या कुछ और | मीडिया भी इससे अछुता नहीं है | इसके पीछे सबसे प्रमुख करना है
वैश्वीकरण | वैश्वीकरण आज के समाज की सबसे बड़ी सच्चाई है | आज मीडिया, बाज़ार और
विज्ञापन तीनों का संबंध अन्योन्याश्रित है | भूमंडलीकरण और अंतर्राष्ट्रीय संचार
के इस युग में मनोरंजन व्यवसाय और वाणिज्य का विकास बहुत ही तीव्र गति से हुआ है |
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप आज बाजारीकरण बढ़ रहा है और भारत
जैसी बड़ी आबादी वालें उपभोक्ता बाज़ार में हर किसी को कमाई की सम्भावना दिखती है |
इतने बड़े बाज़ार में अपने पैर फ़ैलाने के लिए विज्ञापन जैसे माध्यम का सहारा लिया जा
रहा है | इस विज्ञापन से मीडिया इंडस्ट्री पर धन-वर्षा हो रही है | तभी नए समाचार
और मनोरंजन चैनलों की संख्या बढती जा रही है | मौजूदा समय में कुल 350
ब्रॉडकास्टर है जो कुल 780 चैनलों को संचालित करते है |
मीडिया या सीधे-सीधे कहें तो मनोरंजन उद्योग पर बाज़ार का
वर्चस्व बढ़ता जा रहा है | सोशल मीडिया और इन्टरनेट ने भारतीय मनोरंजन उद्योग के
क्षेत्र को बहुत गतिशील बना दिया है | जिसके परिणामस्वरूप भारतीय मनोरंजन उद्योग
एक लाख करोड़ से अधिक का हो गया है | सी.आई.आई- पी.डब्लयू.सी की 2015 में जारी
रिपोर्ट के अनुसार 2018 तक यह लगभग 2 लाख 27 हज़ार करोड़ तक पहुँच जाएगा |
अगर हम मीडिया संस्थानों की ओर नज़र दौडाएं तो पाएंगे कि कुछ
एक को छोड़कर हिंदी के बाकि सभी अख़बारों के संपादक अपनी विशेष संपादकत्व के लिए उस
पद पर बिठाएं गए है जिसका सीधा संबंध बाज़ार और विज्ञापन और व्योंतेपन की निपुणता
से जुड़ा हुआ है |
विज्ञापन
आज विज्ञापन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चूका है | सुबह
आँख खुलते ही चाय के साथ अख़बार में सबसे पहले नज़र विज्ञापन पर ही जाती है | आज हम ना
केवल घर के बाहर बल्कि घर में भी विज्ञापनों से घिरे हुए है | विज्ञापन का मूल्य
उद्देश्य है ग्राहकों के अवचेतन मन पर अपना प्रभाव छोड़ना और विज्ञापन इसमें सफल भी
है |
विज्ञापन आज मनोरंजन उद्योग का महत्वपूर्ण बन के उभरा है |
विज्ञापन कंपनियों ने आज अपने उत्पाद की बिक्री के लिए मनोरंजन का उपयोग कर
मनोरंजन उद्योग पर अपना आधिपत्य जमा लिया है | विज्ञापन आज मनोरंजन का प्रतीक बनते
जा रहे है | आज विज्ञापन कम्पनियाँ विज्ञापन के माध्यम से अपने उत्पाद को ब्रांड
बना रहे है और उपभोक्ता को लोभ और लालच देकर मुनाफा कमा रहे है | मीडिया और
मनोरंजन उद्योग से साठगांठ कर विज्ञापन कंपनियों ने बाज़ार में अपने उत्पाद को
स्थापित कर लिया है |
आज विज्ञापनों की सहायता से उपभोक्तावाद की संस्कृति बहुत अच्छे
से फल-फुल रही है | आज विशिष्ट वर्ग पशिमी सुख-संसाधन का सामान आयात कर रहे है |
व्यावसायिक और वाणिज्य विज्ञापन के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी विज्ञापन है जो अधिकतर सरकारी
है जिनका मूल उद्देश्य लोगो को सही सूचना देना है | लेकिन व्यवसायिक विज्ञापनों ने
अपनी पूंजी के बल पर बाजारतंत्र और मीडिया पर कब्ज़ा कर मनमाना मुनाफा कम रही है |
मनोरंजन उद्योग पर हावी होता विज्ञापन
आज मनोरंजन उद्योग की बात करे
तो हमारे दिमाग में सबसे पहले आते है विज्ञापन | चाहे टीवी हो या रेडियो या समाचार
पत्र या इन्टरनेट सब जगह विज्ञापन ही विज्ञापन | अब तो आलम यह है कि अब मनोरंजन और
सूचनाएं के बीच विज्ञापन ना आके विज्ञापनों के बीच मनोरंजन और सूचनाएं आने लगी है |
विज्ञापनों की ना केवल
संख्या बढ़ी है पर उसके कारण मीडिया का स्वरुप और और सामग्री दोनों बदल गई है, चाहे
वो जनसंचार का कोई भी माध्यम हो, कुछ भी अछुता नहीं है |
समाचार पत्र – आज समाचार पत्रों के मुख्य
पृष्ठ को पढने के लिए न जाने कितने विज्ञापनों के पृष्ठों से होकर गुजरना पड़ता है |
तो कई बार विज्ञापन के कारण मुख्य पृष्ठ से ख़बरों की संख्या कम कर दी जाती है |
समाचार पत्र अब ख़बरों में कटौती कर विज्ञापनों के लिए जगह बनाते है | और सामग्री
की बात करे तो मिर्च-मसाला और बेवजह की तस्वीरें लगाकर पाने समाचार पत्र को बेचने
का ज्यादा प्रयास करते है |
रेडियो – टीवी के आने के बाद, रेडियो का अस्तित्व खतरे में आ गया
था परन्तु एफ.एम. चैनलों की शुरुआत से रेडियो को नव जीवन मिला | आज रेडियो को अधिक
मात्रा में विज्ञापन मिलने लगे है | इसके लिए रेडियो ने कुछ ज्यादा नहीं बस अपने
भाषा का स्तर गिरा दिया |
टीवी – टीवी पर विज्ञापन के माध्यम से विज्ञापन निर्माताओं ने
अपनी कला का प्रदर्शन किया परन्तु टीवी पर जो समाचार चैनल और धारावाहिक आते थे
उन्होंने अपनी रचनात्मकता और संवेदनशीलता ख़त्म कर दी | अब केवल सनसनी फैलाने में टीवी
ने अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया | सामाजिक सरोकार और जन कल्याण अब बीतें ज़माने की
बातें हो गई | अब ना शिक्षित करना, ना सूचना देना, बस मनोरंजन करना ही एकमात्र
उद्देश्य रह गया |
भारतीय विज्ञापन उद्योग
- 2011-12 (फिक्की-केपीएमजी)
सन 2011 में भारतीय विज्ञापन उद्योग ने वर्ष
2010 के मुकाबले 8% कि वृद्धि दर से 25,594
करोड़ रुपये की कमाई की | वही 2012 में 8-9 % के वृद्धि दर से 28,013 करोड़ रुपये की
कमाई की जिसमे टीवी विज्ञापनों कि भागीदारी 44.8% रही और प्रिंट मीडिया की 42.2% थी
| अगर हम इन्टरनेट पर विज्ञापन के आंकड़े पर नजर डाले तो इसकी वृद्धि दर 3.8% के
साथ तीसरे स्थान पर रही | रेडियो का
वृद्धि दर 3.1% रहा और सिनेमा 0.5% वृद्धि दर के साथ सबसे निचले स्थान पर थी |
2013-14
2013-14
सन् 2013 में भारतीय विज्ञापन उद्योग ने करीब
36,200 करोड़ रुपये की कमाई की थी | प्रिंट मीडिया की भागीदारी 44.6% और टीवी
विज्ञापनों की भागीदारी 38.2% थी |
2014-15
2014-15
सन् 2014 में भारतीय विज्ञापन उद्योग ने करीब
37,100 करोड़ रुपये कमायें |
2015-16
2015-16
विज्ञापन उद्योग ने इस वर्ष 41,246 करोड़ रुपये
की कमाई की जिसमें ऑनलाइन विज्ञापनों से 3,757 करोड़ रुपये की कमाई की |
2017 तक भारतीय विज्ञापन उद्योग की कमाई 63,000 करोड़ होने की सम्भावना है जिसमें प्रिंट-टीवी की भागीदारी 38-40% होगी | वहीँ ऑनलाइन विज्ञापन की कमाई बढ़कर 10,000 करोड़ होने का अनुमान लगाया जा रहा है |
2017 तक भारतीय विज्ञापन उद्योग की कमाई 63,000 करोड़ होने की सम्भावना है जिसमें प्रिंट-टीवी की भागीदारी 38-40% होगी | वहीँ ऑनलाइन विज्ञापन की कमाई बढ़कर 10,000 करोड़ होने का अनुमान लगाया जा रहा है |
निष्कर्ष
वर्तमान समय पूंजीवादी भूमण्डलीकृत बाज़ार का समय है जिसके
अंतर्गत प्रत्येक वास्तु बाज़ार का हिस्सा
बन रही है | विज्ञापन इस बाज़ार का अहम हिस्सा है | विज्ञापन बाज़ार मनोरंजन उद्योग
की सहायता से तेज़ी से फल-फूल रहा है | आने वाले वर्षों में विज्ञापन उद्योग के
बढ़ने की सम्भावना अत्यधिक है | विज्ञापन अपने रचनात्मकता से लोगो पर ऐसा असर डालता
है की लोग इसके माया जल में फंस जाते है |
विज्ञापन आज मनोरंजन उद्योग का महत्वपूर्ण बन के उभरा है |
विज्ञापन कंपनियों ने आज अपने उत्पाद की बिक्री के लिए मनोरंजन का उपयोग कर
मनोरंजन उद्योग पर अपना आधिपत्य जमा लिया है | व्यवसायिक विज्ञापनों ने अपनी पूंजी
के बल पर बाजारतंत्र और मीडिया पर कब्ज़ा कर मनमाना मुनाफा कम रही है | आज
विज्ञापनों की सहायता से उपभोक्तावाद की संस्कृति बहुत अच्छे से फल-फुल रही है |
आज भारतीय विज्ञापन उद्योग की कमाई का ग्राफ बड़ी तेज़ी से
ऊपर बढ़ता चला जा रहा है | केवल चार वर्ष में ये कमाई 36,000 करोड़ से 60,000 करोड़ पहुँच
गई है |
आज बाजारीकरण के कारण मीडिया और समाज के बीच एक खाई पैदा हो
गई है | व्यपरिकृत मीडिया काफी हद तक समाज का प्रतिबिंब नहीं रह गया है | देश के
राजनैतिक जीवन में पनप रहे विकृतियों के प्रति मीडिया उदासीन दिखाई पड़ता है |
मीडिया बाज़ार के दबाब में अपना उद्देश्य भूल चुकी है |
आज मीडिया के लिए जरुरी है अपनी साख बचाना | पूंजी कमाना
उचित है परन्तु पूर्ण रूप से अपना सारा केंद्र केवल पूंजी कमाने पर लगाना बिलकुल
गलत है | मीडिया को अपने उत्तरदायित्व का निर्वहण सही रूप से करना चाहिए |
Its totally without sense
ReplyDeleteI will reques. you ,dont copy this material from otherplatform
ReplyDeleteबॉलीवुड से सम्बंधित जानकारी पाए मनोरंजन समाचार पर
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